– निष्ठा,अनुशासन एवं धैर्य , यह सबसे महत्वपूर्ण हैं जीवन में कुछ भी पाने के लिए। जब मैं निष्ठावान होने के लिए बोलता हूँ ,तो इसका तात्पर्य है कि आप प्रतिदिन ध्यान में बैठने के लिए समय निकाले। अन्यथा समय किसी के लिए उपलब्ध नहीं है। वह दुकान में नहीं मिलता। आपके पास एक दिन में 24 घंटे हैं।धरती 24 धंटे में अपनी धुरी/अक्ष में धूमती है और हम इसी कारण एक दिन को 24 घंटे का मानते हैं। आपको इन 24 घंटे से ही समय निकालना पड़ेगा और वरीयता देनी पड़ेगी।
यदि आप अनुशासित हैं तो प्रतिदिन बिना विफलता के अभ्यास करेंगे। आपमें धैर्य भी होना चाहिए क्योंकि मन में बेहद अशुद्धि होती है। अनंतकाल से मन में आदते अर्जित हैं। जब भी आप इन्द्रियों द्वारा संसार के संपर्क में आते है जैसे देखने,सुनने या स्वाद से तो मन एकदम से पहचान कर विष्लेषण करता है – यह अच्छा है,यह बुरा है, यह सही है, यह गलत है, यह मेरा है, यह मेरा नही है। मुझे यह चाहिए,मुझे यह नहीं चाहिए।
वह द्वैतता में फॅंस जाता है और जब विष्लेषण करता है तो इस प्रक्रिया में वह और संस्कार अर्जित कर लेता है। तो अंनतकाल से अर्जित इन संस्कारों की शुद्धि जरूरी है। ध्यान एक शुद्धिकरण क्रिया प्रणाली है,और इसी के द्वारा मन दिव्यता की ओर जा सकता है। सभी की मूल जरूरत ख़ुशी है – शांति एवं ख़ुशी , सभी ये ही चाहते हैं। शाश्वत आनंद और शांति को केवल दिव्य रूप यानी आपकी आत्मा में पाया जा सकता है।आप जो भी कार्य कर रहे हैं, जहॉं भी कार्य करते हैं, भगवान को निरंतर याद रखें। अभ्यास द्वारा ही आप अपना कार्य कर सकते हैं और आपका मन भगवान में स्थित रह सकता है।

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